मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (MPESB) भोपाल ने बहु-शिफ्ट और बहु-विषय परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए अपनाई गई विवादास्पद “नॉर्मलाइज़ेशन विधि” को समाप्त करने की घोषणा की है। यह निर्णय 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। विभाग द्वारा MPESB की ऑफिसियल वेबसाइट पर नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
MPESB ने नॉर्मलाइज़ेशन विधि समाप्त की
नॉर्मलाइज़ेशन प्रणाली की शुरुआत व्यापमं घोटाले के दौर में हुई थी। इसका उद्देश्य विभिन्न परीक्षा शिफ्टों और विषयों के अंकों को “संतुलित” करना था, लेकिन यह पारदर्शिता की कमी और असंगत परिणामों के कारण विवादों में घिर गया। कई मामलों में, उम्मीदवारों को 100% से अधिक अंक मिलने जैसी विसंगतियाँ सामने आईं, जिससे परीक्षा प्रणाली पर जनता का विश्वास डगमगा गया।
2025 से नया पारदर्शी स्कोरिंग सिस्टम होगा लागू
MPESB परीक्षा नियंत्रक द्वारा 13 फरवरी 2025 को जारी आदेश के अनुसार:
- नॉर्मलाइज़ेशन विधि समाप्त: अब बहु-शिफ्ट या बहु-विषय परीक्षाओं में इस प्रणाली का उपयोग नहीं किया जाएगा।
- नई स्कोरिंग प्रणाली: एक “सरल और अभ्यर्थी-हितैषी” तकनीक लागू की जाएगी, जो अधिक पारदर्शी और सटीक होगी। इसकी विस्तृत जानकारी जल्द जारी होगी।
लंबे समय से उम्मीदवार इस प्रणाली को लेकर असंतोष व्यक्त कर रहे थे। हाल ही में 100% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की खबरों ने सुधार की मांग को और तेज कर दिया। नई प्रणाली उम्मीदवारों के वास्तविक प्रदर्शन को सही तरीके से दर्शाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
अभ्यर्थियों के लिए इसका क्या अर्थ है?
- निष्पक्ष परिणाम: स्कोरिंग में अस्पष्टता कम होगी।
- विश्वास की बहाली: व्यापमं घोटाले की छवि से बाहर निकलने की दिशा में बड़ा कदम।
- स्पष्टता: त्रुटियों और विवादों की संभावना घटेगी।
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